बिस्वा करमा पूजा (Biswakarma Puja 2024)

बिस्वा करमा पूजा (Biswakarma Puja 2024)

बिस्वा करमा पूजा : महत्त्व और परंपराएँ

परिचय
बिस्वा करमा पूजा, जिसे ‘विश्वकर्मा पूजा’ के नाम से भी जाना जाता है, भारत के कई हिस्सों में एक महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में मनाया जाता है। यह मुख्य रूप से श्रमिक वर्ग, कारीगरों, इंजीनियरों, और मशीनरी से जुड़े लोगों के द्वारा मनाया जाता है। विश्वकर्मा भगवान को निर्माण और शिल्पकला के देवता के रूप में पूजा जाता है, और इस दिन लोग अपने औज़ारों, मशीनों, और उपकरणों की पूजा करते हैं ताकि उनका काम सुचारू रूप से चलता रहे।

photo_2024-09-16_08-24-52-1024x683 बिस्वा करमा पूजा (Biswakarma Puja 2024)

कौन हैं भगवान विश्वकर्मा?
भगवान विश्वकर्मा को सृजन का देवता माना जाता है। हिन्दू पुराणों के अनुसार, उन्होंने स्वर्गलोक, द्वारका, इंद्र का वज्र, और कई अन्य दिव्य निर्माण किए। वे सभी देवताओं के वास्तुकार माने जाते हैं और उनकी पूजा कारीगरों और शिल्पियों के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय है।

पर्व का महत्त्व
विश्वकर्मा पूजा विशेष रूप से फैक्ट्रियों, कारखानों, और कार्यालयों में मनाई जाती है जहाँ लोग अपने कामकाज से जुड़ी मशीनों और औज़ारों की पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद मिलता है और कार्य में सफलता मिलती है। साथ ही, काम करने वाले उपकरणों का जीवनकाल भी बढ़ता है और दुर्घटनाओं से बचाव होता है।

पुजा की विधि

  1. इस दिन लोग सुबह स्नान कर साफ-सफाई करते हैं।
  2. औजारों और मशीनों को अच्छे से साफ करके पूजा स्थल पर रखा जाता है।
  3. भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित की जाती है।
  4. नारियल, फूल, अगरबत्ती, और मिठाइयों से भगवान की पूजा की जाती है।
  5. पूजा के बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है और दिन भर उत्सव मनाया जाता है।

विशेषताएँ

  • इस दिन कामकाज से जुड़े लोग अपने कार्यस्थलों की सजावट करते हैं और बिना किसी उपकरण को चलाए केवल पूजा करते हैं।
  • बंगाल, ओडिशा, असम, त्रिपुरा और बिहार में इस त्योहार को विशेष रूप से धूमधाम से मनाया जाता है।
  • कई स्थानों पर इस दिन पतंग उड़ाने का भी रिवाज है, विशेषकर पश्चिम बंगाल में।

समापन
बिस्वा करमा पूजा श्रम और शिल्पकला का सम्मान करने का त्योहार है। यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि मेहनत, कौशल और ज्ञान का जीवन में कितना महत्व है। भगवान विश्वकर्मा की कृपा से श्रमिकों और कारीगरों को प्रेरणा और उन्नति मिलती है, और वे अपनी कला और कार्य में नए आयाम स्थापित करते हैं।

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